सोमवार, 17 दिसंबर 2012

कारगिल की घाटी : 1

‘‘प्लीज शान्त हो जाओ एक और अच्छी खबर है मेरे पास।’’
‘‘क्या.....? क्या....?’’
‘‘हमारी कक्षा को परेड प्रदर्शन के बाद गीत गाने का मौका मिलेगा। उसकी सभी को तैयारी करनी होगी।’’
‘‘अजी कमाल हो गया .... मोनीटरजी इस बार तो तूसी रिपोर्ट बड़ी जानदार है।’’ जसविन्दर जोर से चिल्लाई तो हरप्रीत ने मुंह में अंगुली डाल जोर से सीटी बजा दी। ‘‘कौन सा गीत है मोनीटरजी? हम भी तो सुने।’’
‘‘बताती हूं।’’ कहती हुई अनन्या क्लासरूम के मंच पर चढ़ गई। मेडम की खाली टेबुल कुर्सी के पास जाकर खड़ी हो गई ओर फिर कहने लगी- किस किस को याद है सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा.....।’’
अनन्या के इतना कहने भर की देर थी। कई लड़किया हाथ उठाए मंच की ओर दौड़ पड़ी- हमें आता है.....हमें पूरा याद है....
एक एककर लड़कियों का पूरा झुंड कक्षा मंच पर पहुंच गया। सभी गाने लगी-
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा, हमारा
हम बुलबुले है इसके ये गुलसिता हमारा...हमारा...
‘‘प्लीज लड़कियों इतना बेसुरा मत गाओ कि गीत ही शर्मा जाय।’’ अनन्या कान के पर्दे बंद करती हुई चीखी। पर उसकी बात कोई नहीं सुन रहा था। पूरी कक्षा में गीत के शब्द बेसुरे होकर शोर पैदा करने लगे-
पर्वत वो सबसे ऊंचा.....गोदी में खेलती है जिसके हजारों नदिया....हिन्दी है हम वतन है हिन्दुस्ता हमारा...सारे जहां से अच्छा... शोर बढ़ने लगा तो अनन्या ने बढ़कर कक्षा के दरवाजे खिड़की बन्द करने लगी। ताकि शोर बाहर न जाय। उसका कक्षा को संभालना मुश्किल होता जा रहा था। लगभग दस मिनिट तक यही सब शोर शराबा चलता रहा। इसके बाद दीप्ति के पांव पर किसी का पैर लग गया। उई मां! दीप्ति चीख उठी- बदतमीज कहीं की....। उसने एक तमाचा शकीला के मुंह पर जड़ दिया। यह देख बानो ने दीप्ति को धक्का दे दिया। दीप्ति पीछे की लड़कियो से जा टकराई। किसी के सिर की ठोडी ठुकी तो किसी के होठ दांत में घुस गये।
‘‘अरे ये क्या धक्का मुक्की हो रही है?’’

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