सोमवार, 17 दिसंबर 2012

कारगिल की घाटी : 15 अगस्त 2012







                       खाली पीरियड


‘‘ओऐं लड़कियों ऽ ऽ सब चुप हो जाओ....क्लास गल्र्स.....प्लीज.....शट योर माऊथ...’’कक्षा की मोनीटर अनन्या ने दरवाजे के भीतर घुसते हुए कहा। अनन्या की आवाज सुन खुसुर-पुसर करती, बतियाती, शोर करती सब लड़किया शान्त हो गई।
अनन्या अभी स्टाॅफरूम से लौटी थी। वह अध्यापिका का संदेश देने लगी-
‘‘सब सुनो, आज कमलेश मेडम क्लास नहीं लेगी.....स्टाॅफरूम में 15 अगस्त की तैयारी को लेकर मंत्रणा चल रही है। इस बार हमारे विद्यालय को स्टेडियम परेड के  दौरान अग्रिम पंक्ति में रहने का मौका मिला है। सबसे पहले हमारे स्कूल का ट्रूप होगा हमारे स्कूल का झंडा लिए....’’
हिप .... हिप... हुर्रे..... सभी लड़किया एक साथ उछल पड़ी।
‘‘सुनो सुनो ऽ’’ ताली बजाती मोनीटर ने मुंह पर अंगुली रखकर सबको चुप रहने का संकेत किया।
‘‘सब चुप हो जाओ......संभावना है कि परेड ट्रूप का कमांडर भी हमारे विद्यालय से चुना जाय शायद इसीलिए.......’’
‘‘क्या कोई लड़की बनेगी ट्रूप कमांडर.....हुर्रे....’’ सभी लड़किया एक साथ उछल पड़ी। ‘‘सुनो....सुनो...सुनो......’’ताली बजाती हुई मोनीटर ने मुंह पर अंगुली रखकर सबको चुप होने का संकेत किया। ‘‘सब चुप हो जाओ प्लीज...। परेड ट्रूप का कमांडर भी हमारे विद्यालय से चुना जाना तय है शायद इसीलिए.... ’’टेबिल थपथपाने की आवाज गूंजने लगी।
‘‘चयन के लिए सभी अध्यापिकाएं लड़कियों के नाम प्रस्तावित करके सूची बना रही है जो प्रधानाध्यापिकाजी को दी जायेगी। फिर वे किसी एक को चुनेगी।’’
‘‘वाह जी वाह! वाह....जी....वाह........कौन होगी वह मिस भाग्यशाली?.....हमारे स्कूल की ब्रांड एमबेसेडर?’’

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