गुरुवार, 13 मार्च 2014

कारगिल की घाटी : 4

‘‘हमंे माफ कर दो अनन्या... कहते हुए लड़कियों ने अनन्या को घेर लिया। रूंआसी अनन्या के मुंह से केवल इतना ही फूटा- ‘‘हमें सजा तो मिल ही चुकी है। अब पछताने से क्या फायदा? कल प्रार्थना के बाद नामों की घोषणा होने वाली है.....ऐन मौके पर चयन के एक दिन पहले ही हमारी कक्षा का नाम काट जाता है...... तो?


मध्यान्तर की छुट्टी में सभी लड़किया अटकले लगाने लगी- ‘‘परेड दल के लिए किस किस का नाम चुना जा सकता है....और दल का लीडर कौन कौन हो सकता है?’’

लड़कियों की इस बात पर दीप्ति बोल उठी- ‘‘हमारी ट्रूप लीडर तो अनन्या जैसी होनी चाहिए।’’
‘‘हां, बिल्कुल सही है।’’ 
‘‘हम सबकी भी यही राय है’’ दूसरे सेक्शन की लड़कियों ने भी स्वर मिलाया। सब कहने लगी- ‘‘अनन्या में लीडर के सब गुण है। समझदार होने के साथ सबको साथ लेकर चलना उसे आता है। वह सबसे प्रेम करती है किसी का बुरा नहीं सोचती है......बातूनी लड़कियों की बातें की गाड़ी पटरी पर पटरी बदलती दौड़ी जा रही थी अगर छृट्टी की घंटी न बजी होती तो वे बहुत कुछ बतियाती रहती। 
अपना अपना बैग-बस्ता-टिफन उठाए सब घर जाने को आतुर हुई सबकुछ भूलकर गेट की ओर लपक कर दौड़ पड़ी।
गेट से निकल कर चलती-दौड़ती लड़कियों का रेला ऐसा लग रहा था मानो कैद से छूटकर कैदी भागे जा रहे हो सरपट। सुबह ठीक नौ बजते ही यही लड़कियां घंटी की आवाज पर स्कूल प्रागंण में आ जुटती है- कतारबद्ध होकर अपनी अपनी कक्षाओं की पंक्ति में अलग-अलग लाईन में। छोटी से बड़ी लम्बाई के क्रम में जमी हुई अनुशासन से बंधी हुई सावधान की मुद्रा में प्रार्थना की मुद्रा लिए आंखे बंद कर तल्लीन लड़कियां।  अन्न्या अपनी कक्षा लाईन में सबसे पीछे खड़ी हुई लम्बी लड़की थी। उसकी लम्बे कद के साथ लम्बे बाल, चेहरे पर लिपटी मधुर मुस्कान उसे सौम्य बनाती थी।
दूसरी घंटी बजते ही प्रर्थना प्रारंभ हुई। फिर इसके बाद ताजा समाचारों का वाचन हुआ। फिर पी.टी.आई. मेडम ने अमृत वचन सुनाये। प्रार्थना सभा के विधिवत रूप से पूरा होने के बाद प्रधानाचार्याजी माईक के सामने आकर खड़ी हुई। वे सब छात्रों को संबोधित करके कहने लगी-
‘‘प्यारे बच्चों, तुम्हें यह जानकर ख्ुशी होगी और मुझ व हमारे स्टाफ को भी गर्व होगा कि इस बार 15 अगस्त पर स्टेडियम में होने वाली परेड में हमारे विद्यालय का ट्रूप सबसे आगे होगा....और ट्रूप के आगे होगा हमारे विद्यालय का झंडा थामें ट्रूप लीडर। ट्रूप लीडर उसे चुना जायेगा जो परेड प्रशिक्षण के दौरान अच्दा प्रदर्शन करेगा। इसका निर्णय आपकी पी.टी.आई. मेडम करेगी।
इसके अलावा हमारे विद्यालय की एक छात्रा को स्टेडिय परेड टीम की कमांडर बनाया जायेगा। जिसका चयन सभी स्कूल से जुड़ी चयन समिति करेगी। इस बार स्टेडियम में समूह गान के लिए जो गाना चुना गया है जैसा सभी को मालूम भी है ‘‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा’’ इकबाल का लिख मशहूर यह गीत नोटिस बोर्ड पर पूरा लिखा हुआ है। उसे लिखकर सही तरह से याद कर लें। ताकि कोई त्रुटि ना रहे।
इन सबमें एक खास और अहम बात जो मैं अब बताने जा रही हूं वह है हमारे  शहर के चार विद्यालयों से छात्र-छात्राओं का चुना हुआ एक प्रतिनिधि मंडल स्वाधीनता दिवस पर कारगील की घाटी में शहीद स्मारक पर देश की सेना के जवानों के साथ मनायेगा। प्रधानाचार्याजी की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि लड़कियों में हर्ष की लहर दौड़ गई। तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। कुछ क्षण बाद बड़ी मेडम ने सबको शांत होने का इशारा किया। कुल चार छात्रों को ले जाना तय है। इच्छुक छात्राएं अपना नाम कक्षा टीचर को लिखवा दें। लिखे हुए नामों से ही चयन किया जायेगा। इस दल के साथ स्कूल की अध्यापिका भी रहेगी। बारह दिन के इस टूयर में जम्मू कशमीर की सैर भी करायी जायेगी। यह टूयर 10 अगस्त को उदयपुर से प्रातः सवा छः बजे रेलगाड़ी की यात्रा से प्रारंभ होगा। टूयर की विस्तृत जानकारी सूचना पट्ट पर लगा दी जायेगी। 
इसके  साथ बड़ी मेडम ने अपनी बात को खतम करते हुए आगे निर्देश दिया- ‘‘सभी अपनी अपनी कक्षाओं की ओर प्रस्थान करें।’’
पहले पाश्र्व की पंक्ति बढ़नी शुरू हुई। इसके अंतिम छोर से साथ वाली दूसरी पंक्ति जुड़ती गई। स्व-अनुशासन व स्व-नियंत्रण का इससे अच्छा उदाहरण और क्या होगा कि बिना शोर किए एक जैसी यूनीफोर्म पहने कतारबद्ध लड़किया आगे बढ़ती अपनी कक्षाओं के निर्धारित स्थानों पर पहुंच गई। कुछ ही देर बाद शिक्षिकाओं के मुपीछे मुड़ते ही ये नियंत्रण गुम हो गया। लड़किया कक्षा में पहले भीतर घुसने के लिए एक दूसरे को धकियाती हुई शोर मचाने लगी।
अनन्या के साथ दीप्ति ने अपना नाम लिखवाया था। कारगित की घाटी में 15 अगस्त अर्थात सेना के जवानों के साथ स्तंत्रता दिवस मनाने के लिए। वे भारत का स्वर्ग कश्मीर की धरती पर जाने को उत्सुक थी।

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