इकबाल के लिखे इस प्रसिद्ध गीत को नोटिस बोर्ड पर लगा दिया गया।
गीत
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा
हम बुलबुले हैं इसकी ये गुलसिता हमारा।
घुर्बत मे हो अगर हम रहता है दिल वतन मे
समझो वही हमे भी दिल है जहाँ हमारा ।
परबत वो सब से ऊंचा हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा वो पासबा हमारा ।
गोदी मे खेलती है इसकी हजारो नदिया
गुलशन है जिनके दम से रश्क-ए-जना हमारा ।
ए अब रौद गंगा वो दिन है याद तुझको
उतर तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा ।
मजहब नहीं सिखाता आपस मे बैर रखना
हिन्दी है हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा ।।
युनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गये जहाँ से
अब तक मगर है बाकी नाम-ओ-निशान हमारा ।
कुछ बात है की हस्ती मिटती नही हमारी
सदियो रहा है दुश्मन दौर-ए-जमान हमारा ।।
इक्बाल कोइ मेहरम अपना नही जहाँ मे
मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहा हमारा ।।
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