शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

खिता से एक मुलाकात


गतांक से आगे -
इतने में नौकरानी मक्खी ने आकर सूचना दी कि, ‘‘आपसे मिलने एक टिड्डा आया है। वह आपसे कुछ खुफिया बात करना चाहता है।’’ इस पर रानी मक्खी ने उसे अन्दर भेज देने का आदेश दिया। नौकरानी मक्खी ने टिड्डे को अन्दर भेज दिया। सिर झुकाकर टिड्डा बोला-
‘‘नमस्ते रानी मक्खी। मैं अफ्रीका का प्रवासी यूथी टिड्डे दल का नायक ‘खिता’ हूं। हम लोग फसलों पर आक्रमण करने की तैयारी कर रहे है। चूंकि यह आपका क्षेत्र है इसलिए आपको सूचना देना आवश्यक समझा गया।’’
मान्य खिता, तुम फसलों पर आक्रमण क्यों करना चाहते हो? जानते नहीं आज के वैज्ञानिक युग में तुम्हें मार भगाने के कई तरीके ढूंढ लिए गये है। वे लोग तुम्हें मारने के लिए वायुयान से जहरीले कीटनाशकों का छिड़काव कर सकते है। जिससे न केवल तुम्हें बल्कि हमें भी खतरा रहेगा।’’ नानी मक्खी कुछ रूककर आगे बोली बेहतर यहीं है कि तुम चले जाओ। वर्ना तुम्हारे साथ हम भी मारी जायेंगी। क्योंकि तुम्हारी जितनी तेज गति से हम नहीं भाग सकती।
यह सुन खिता बोला, ‘‘रानी मक्खी हमारी विवशता को समझो। इस बार वर्षा अच्छी होने से फसलें अच्छी हुई है। हरी-हरी पत्तियों का पर्णहरित हमें बहुत पसन्द है। हमारा दल कल ही खेतों की ओर कूच कर जायेगा। और संभावना है कि दो तीन दिन में धावा बोल देगें। तुम लोग घरेलू मक्खियां हो बस्ती की ओर भाग जाना, खेतों की ओर मत जाना।’’
‘‘तुम्हारे इस आक्रमण से मेरा तो सारा व्यापार ही चौपट हो जायेगा। मैं कैसे अपने कीटाणुओं को जहरीले कीटनाशकों से बचा पाऊंगी। ईल्ली बेटी तुम ही समझाओ इसे कुछ।’’ रानी मक्खी ने ईल्ली की ओर देखकर कहा। इस पर ईल्ली ने खिता से कहा-
‘‘खिता क्या तुम 10-15 दिन नहीं ठहर सकते। प्लीज मेरे खातिर खिता वर्ना हमारे अण्डे भी बेकार हो जायेगे और हमें कई ट्रक कीटाणुओं का नुकसान होगा सो अलग।’’ ईल्ली ने खिता से इतने मोहक ढंग से आग्रह किया कि खिता इनकार नहीं कर सका।
‘‘सुन्दरी ईल्ली, तुम सुन्दर ही नहीं विनम्र भी हो। विनम्र स्वभाव वाला दूसरों का मन जीत सकता है। तुम्हारी बात मुझे स्वीकार है।’’ इतना कहने के बाद खिता उड़ने को हुआ किन्तु ईल्ली ने उसे शर्बत पिलाना चाहा तो नानी ने टोक दिया।’’ भला टिड्डे कहां जानते है मीठा शर्बत पीना वो तो बस चबर-चबर हरी पत्तियां चबाना जानते है। जानवरों की तरह।’’ कहकर हो! हो!! कर नानी हंस पड़ी ईल्ली को नानी का बेसमय हंसना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।
खिता के बात मान लेने से यूथी टिड्डी दल के कारण आया संकट एक बार टल चुका था। ईल्ली और नानी फिर भविष्य की योजनाओं में व्यस्त हो गई। आज उन्हें कई ट्रक कीटाणुओं के कच्ची बस्ती में खाली करने थे। ट्रक के काफिले के साथ वह अपने माल को ले कच्ची बस्ती की ओर निकल पड़ी।
वहां उन्होंने पेचिश, तपेदिक और कुष्ठ रोगों के कीटाणुओं की खूब बिक्री की मुंहमांगी कीमत पर उन्होंने टाईफाईड के कीटाणु बेचे। उनके पास अभी काफी माल था किन्तु शाम होने से पहले उन्हें अन्य जगह भी कीटाणुओं को पहुंचाना था। अत: सभी कीटाणुओं को कोलोनी बसा लेने का आदेश दे वह ट्रको का काफिला लेकर आगे चल दी।
अच्छी जगह पाकर कीटाणु भी बहुत खुश थे। काफी समय से अच्छे वातावरण और भोजन के अभाव में खोल में बंद जीवन काट रहे थे। अब वह फटाफट अपनी संख्या बढ़ाकर आबादी बढ़ा लेंगे। विभिन्न तरह की दवाओं के आने से उनके जीवन को कई खतरे थे। अक्सर उनके बीच आयोजित गोष्ठियों में इसी विषय की चर्चा रहती - उन्हें चिन्ता थी कि यदि यही हाल रहा तो एक दिन वे समूल नष्ट हो जायेगें।
ऐसे में मक्खियां उन्हें हमेशा दिलासा देती। वे सब मक्खियों के आभारी थे वे न होती तो भला वे एक जगह से दूसरी जगह कैसे पहुंच पाते।

अगले अंक में पढे़ - एक दुर्घटना

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